निरंतर माला का एक अनमोल मोती कम हो रहा
एक नया साल शुरू हो रहा
तारीख की सीढियों से दिसम्बर खिसक रहा
नववर्ष दस्तक दे रहा
बस कुछ दिन ही शेष
कुछ चेहरे जो याद बन गए
बहुत कुछ छोड़ गए
उम्र का पंछी भी आगे निकल रहा
यही जीवन-चक्र है
दूर नीला गगन
नीचे यह धरती
उनके मध्य हम
इसी की मिट्टी में जन्म
इसी में अंत में मिलन
एक - एक क्षण बादल बन कर उड जा रहे
बस अनुभव छोड़ जाते
मिलते हैं
बिछडते हैं
कुछ नए दोस्त बनते हैं
कुछ नयापन आता है
कुछ अपने जो हर वक्त के साथी
उनका एक कर्ज हैं हम पर
स्नेह और प्यार का
वह ऐसा ही बना रहें
नया साल कुछ और सौगात लेकर आए
सबकी झोली खुशियों से भर जाएं
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