अनाथों की माई
उनकी प्यारी माई
वह थी सिंधु ताई
नाम था सिंधु
मन भी था सिंधु जैसे अथाह
छोड़ गई
अपने बच्चों को
जिनका उनके सिवाय कोई नहीं
एक माँ का था आधार
वह भी गया
एक या दो बच्चों की माँ नहीं
हजारों बच्चों की माँ
कितना बडा दिल
दिखाया दुनिया को
माँ का ऑचल कितना बडा
उसकी कोई सीमा नहीं
ममता अपना - पराया नहीं देखती
देवकी न सही
यशोदा बनी वे बच्चों की
उनको आश्रय दिया
उनके लिए
हर किसी के सामने ऑचल फैलाया
मांगने में कोई कोताही नहीं
माँ स्वयं भूखा रह सकती है
बच्चों को नहीं
श्मसान से शुरू हुई यात्रा
पद्मश्री अवार्ड तक
स्पष्ट बोलना
वैसा बोलना
पढे लिखों को चित्त कर देना
नव वारी साडी
कपाल पर बडा सा टीका
साथ में बच्चे
उनके साथ हंसती - खिलखिलाती माई
अद्भुत दृश्य
यह अब शायद न दिखे
धरती के समान विशाल हदय वाली आई
धरती में ही समा गई
जिस मिट्टी से उपजी थी
उसी मिट्टी में मिल गई
भाव-भीनी श्रद्धांजलि 🙏🙏
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