इस पार नया साल
उस पार पुराना साल
बदला क्या
सब कुछ वही का वही
बस इक्कीस से बाइस हो गया
साल और तारीखे बदल गयी
एक रात में कुछ चमत्कार नहीं हो जाता
सदियों बीत जाता है
जिंदगी सालोसाल की पीड़ा को ढोती रहती है
जो लोग कल थे आज भी वही हैं
वैसे ही हैं
वैसे भी इंसान लीक पर चलने वाला प्राणी
इतनी जल्दी कहाँ बदलता है
बिना मजबूत इरादों के
इसी जगह तो वह कमजोर हैं
जो कहता है
जो सोचता है
वैसा करता नहीं
हम अपने को देख लें
कितना बदले ??
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