सबकी अपनी-अपनी सीमा
तितली भी उडती है
गौरैया भी उडती है
कौआ भी उडता है
बाज भी उडता है
जो उडान बाज भर सकता है
वह गौरया नहीं
जो गौरैया भर सकती है
वह तितली नहीं
अगर अपनी सीमा से ज्यादा प्रयास करेंगी
तब शायद रह नहीं जाएँगी
सबकी सीमा अलग
सबका सामर्थ्य अलग
किसी की नकल और तुलना उचित नहीं
आप जो हैं वो हैं
आप गौरया है तब बाज तो हो नहीं सकते
न उसके जैसा विशाल न उसके जैसी उडान
आप छोटी है तब भी सबको भाती है
हर घर में आपका स्वागत होता है
छोटा सा घोंसला हर छत और रोशनदान पर
दाना और पानी रखा जाता है
ची ची करती आओ और खाकर जाओ
छोटा हो या बड़ा
सभी की अहमियत
तभी तो कहा गया है
जो काम सुई करें
वह कहाँ करें तलवार
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