Saturday, 5 November 2022

तब और का क्या भरोसा

दौलत , शोहरत सब बेकार 
स्वस्थ न हो जब यह जीवन मौल्यवान 
सब धरे के धरे रह जाते हैं 
जब बीमारी लग जाती है
तिजोरी भरी है
शरीर खोखला 
तब सारा मामला बिगडा 
बहुत जतन किए 
बहुत मेहनत की
बहुत त्याग और संघर्ष किया
तब जाकर यह मुकाम हासिल किया
इस हासिल करने के पीछे
स्वयं को कहीं निगलेक्ट कर दिया
इस सिलेक्ट और निगलेक्ट के मध्य 
जाने क्या- क्या छूट गया
अब संपत्ति है स्वास्थ्य नहीं 
सोचा था उपभोग करूंगा 
जी भर कर मन माफिक खाऊंगा 
वह बस दाल - रोटी और उबले पर सिमट गया
पर्यटन पर जाऊंगा,  दुनिया की सैर करूंगा 
वह सब व्हील चेयर पर अटक गया
सोचा था न जाने क्या
क्या-क्या ख्वाब बुने थे
सब अधूरे रह गए 
जो शरीर ने साथ निभाया उसका मैं न निभा पाया
अब हालात यह कि
वह भी थक गया
बीमारियों से ग्रस्त 
जब वह ही साथ छोड़ दे
तब और का क्या भरोसा ।

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