अब सफाईकर्मी शान से आता है
अब चायवाला भी अपनी टपरी पर अभिमान करता है
अब रिक्शावाला भी शर्म नहीं करता
काम करने में क्या शर्म
कुछ तो यह तक बोलते है
हम इन सफेदपोश बाबू से कम थोडे कमाते हैं
अब तो पढ - लिखकर स्टार्ट अप शुरू कर रहे हैं
बडी आई टी कंपनी की नौकरी छोड़ अपना बिजनेस कर रहे हैं
अब किसान भी खेती में नए-नए प्रयोग कर रहा है
अब ड्राइवर की ऑफिसर बेटी गर्व से कहती है
ये मेरे पापा हैं
अब ऑफिस में खाने का डिब्बा लेकर आई माँ को सम्मान से देखा जाता है
गरीब और लाचार को हेय नहीं मदद के हाथ बढ रहे हैं
नजरिया बदल रहा है
सोच बदल रही है
समाज बदल रहा है
कुछ ओछी मानसिकता अभी भी है वह भी बदलेंगी ही
छोटा - बडा नहीं
इंसान, इंसान ही बना रहें
प्रयास हो रहा है
सफलता भी मिल रही है
यह सब एक दिन में नहीं
दशकों से शुरू है
तभी यह मुकाम हासिल हुआ है
न जाने कितने लोगों का योगदान
कुछ जाने कुछ अंजाने
जो भी हो
मेरा देश बदल रहा है
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