है बडा पापी
सारी दुनिया इसी के इर्द-गिर्द
यह न हो तो शायद कुछ भी नहीं
जीव - जंतु हो या आदमी
पेट भरने की जरूरत सबकी
कभी यह भूखा रहता है
कभी बेहिसाब खाता है
सस्ते से सस्ता
महंगे से मंहगा
आदमी तो जानवर बन जाता है
न जाने क्या-क्या गुल खिलाता है यह पेट
जीवन का हवनकुंड है यह
यह कोई खाली डिब्बा नहीं
जो इसे जब चाहे जैसे चाहो भरो
वही सामग्री पडे जिसकी इसे जरूरत है
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