यह सबके सामने खुलता नहीं है
जिसको अपना समझता है
उसी के सामने खुलता है
अब वह आपको अपना समझे या न समझे
जिसको तुम चाहो वो तुम्हें चाहे
ऐसा होता नहीं है
दिल किसी पर आ जाएं
तब क्या करें
यह दिल किसी की बात मानता नहीं
अपनी मनमानी करता रहता है
सही है
दिल है कि मानता नहीं
No comments:
Post a Comment