सोचता रहा
सपने बुनते रहा
यह करूगा वह करूंगा
ख्वाब तो बुने बड़े बड़े
उठा नहीं चला नहीं
यहीं मैं चूक गया
सोचा था कुछ
सोच रहा हूँ कुछ
अब क्या
कुछ नहीं
यह तो होना ही है
अब उठ खड़ा हुआ हूँ
चलना भी है
दौड़ना भी है
गिरने का डर नहीं
उठने की चाह
सपने भी साकार
आज नहीं तो कल
हम चल पडे हैं
वक्त भी चल रहा साथ
मंजिल दूर नहीं
देख रहा हूँ यहीं से
बस पहुँच रहा हूँ
मैं चल रहा हूँ।
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