Wednesday, 19 June 2024

मैं चल रहा हूँ

मैं बैठा रहा 
सोचता रहा
सपने बुनते रहा 
यह करूगा वह करूंगा 
ख्वाब तो बुने बड़े बड़े 
उठा नहीं चला नहीं 
यहीं मैं चूक गया 
सोचा था कुछ 
सोच रहा हूँ कुछ 
अब क्या 
कुछ नहीं 
यह तो होना ही है 
अब उठ खड़ा हुआ हूँ 
चलना भी है
दौड़ना भी है
गिरने का डर नहीं 
उठने की चाह 
सपने भी साकार 
आज नहीं तो कल
हम चल पडे हैं 
वक्त भी चल रहा साथ 
मंजिल दूर नहीं 
देख रहा हूँ यहीं से 
बस पहुँच रहा हूँ 
मैं चल रहा हूँ। 

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