Friday, 14 February 2025

माता - पिता की ममता

अपने बच्चों के पुराने खिलौने संभाल कर रखा था 
उसकी पुरानी सायकल भी वैसे ही
उसे रोज पोछते थे 
साफ करते थे 
हाथ फेरते थे 
उनके अलबम में फोटों देख खुश होते थे 
पुरानी यादों को फिर जीवंत करते थे 
आंखो में पानी भर आता था
धुंधला हो जाता था
जल्दी से आंखें पोछ दोनों हंसते - मुस्कराते थे 
प्यार से एक एक फोटों पर हाथ फेरते थे 
उनकी बातें बतियाते थे 
गर्व से सबको उनके बारे में बताते थे 
बच्चे चले गए विदेश 
चिड़िया का घोसला जैसे घर फिर सूना हो गया
अब उनके ऊपर हाथ फेरने वाला कोई नहीं 
सांत्वना देने वाला बीमारी में कोई नहीं
देखभाल करने वाला कोई नहीं
हाथ पकड़कर चलाने वाले तो चले गए 
वे अकेले रह गए 
प्रसन्न तो अब भी सोचकर यह है
हमारी भी संतान है
हम भी किसी के माता -- पिता है 

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