यहाँ हमने तो प्रेम को हारते देखा है
प्रेम को मजबूर देखा है
प्रेम को सिसकते देखा है
प्रेम को मरते देखा है
प्रेम में पाना नहीं बल्कि खोना ही प्रेम है
ऐसा लगता है
प्रेम न हो तो कोई परवाह नहीं
प्रेम में बंधक बन जाना पड़ता है
परीक्षा देनी पड़ती है
अपने को साबित करना पड़ता है
विश्वास दिलाना पड़ता है
प्रेम के नाम पर अपने अस्तित्व को खत्म करना पड़ता है
यह कैसा प्रेम
काहे का प्रेम
जहाँ उसके नाम पर खोना ही खोना
पाना कुछ नहीं
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