हर पर हाथ रख सहला रही थी
कभी मुस्कराती कभी ऑखों में पानी भरती
बच्चें यह देख हैरान
ऐसा क्या है इसमें
उन्हें कैसे बताऊ
तुम्हारा बचपन और मेरी जवानी
सब है इनमें
हर फोटों की अपनी एक कहानी
उन लम्हों की याद
वे खुशी के पल
कैसे भूले हम
यादें थोड़ा धुंधली हो गई है
इन्हें देख फिर ताजा हो उठती है
हम अतीत में सैर करने लगते हैं
फिर से वह जीवन जी लेते हैं
बच्चें बड़े हो गए
उनका अपना संसार
मेरा भी अपना संसार
जो इस अल्बम में समाया
वो भूली दास्तां
लो फिर याद आ गई
नजर के सामने घटा सी छा गई
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