Friday, 7 February 2025

मेरे घर आई एक नन्ही परी

मेरे घर आई एक नन्हीं परी
शुभ्र सफेद रंगत
मासूमियत से भरी
टक टक निहारती बड़ी - बड़ी आँखें 
गुलाबी नाजुक से गाल 
ढूंढ रही हूँ उसमें अपने को
कहना है कुछ का
लगती है कुछ कुछ मुझसी भी 
हल्की सी मुस्कान जब भरती है
मन गद गद हो जाता है
कहावत है
बेटी धन की पेटी
पता नहीं सच क्या 
हाॅ  बेटी दिल के करीब होती है
दिल की धड़कन है वह 
खूब फले - फूले बढ़े हमारी बिटिया रानी 
खुशी से महके घर - आंगन
तोतली बोली से घर हो गुंजार
हमारी  वीरा  पर मैं सब कुछ जाऊं वार


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