हमें भी अपनी उड़ान चाहिए
हम नहीं चाहते हमारे पंखों को कतरा जाए
जिम्मेदारियों के नाम पर हमें घर पर बैठाया जाए
हम तो जिम्मेदार हैं ही
तभी तो घर - परिवार चलता है
उससे कहाँ भाग कर जाएंगे
लेकिन हमारे सपनों का क्या
हमारी काबिलियत का क्या
उसे केवल घर की चहारदीवारी में कैद कर रखना
यह तो सरासर अन्याय है
अधिकार तो हमें भी है
अपनी मर्जी से जीने का
जीने दीजिए ना
हम अगर खुश तो पूरा परिवार खुशहाल
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