जीवन बाकी है
उठो फिर
शुरुआत करो
अभी सब कुछ खत्म नहीं
बहुत कुछ बाकी है
जब तक सांस है
तब तक आस है
शून्य से शुरुआत करो
शिखर पर पहुंचो
कितना कुछ करना है
उंचाई पर पहुँचना है
गिरना - पड़ना तो चलता रहता है
पहाड़ तो वहीं है
तुम भी तो वही हो
वह तो विचलित नहीं
तुम क्यों
फतह करो
चोटी पर पहुँच परचम फहराओ
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