Monday, 28 July 2025

पहुंचो ऊपर

सब कुछ खत्म 
जीवन बाकी है 
उठो फिर 
शुरुआत करो 
अभी सब कुछ खत्म नहीं 
बहुत कुछ बाकी है 
जब तक सांस है 
तब तक आस है 
शून्य से शुरुआत करो
शिखर पर पहुंचो
कितना कुछ करना है 
उंचाई पर पहुँचना है 
गिरना - पड़ना तो चलता रहता है 
पहाड़ तो वहीं है 
तुम भी तो वही हो 
वह तो विचलित नहीं 
तुम क्यों 
फतह करो 
चोटी पर पहुँच परचम फहराओ 

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