हिन्दुस्तान की आत्मा गाँव में बस्ती है , हमारा मुख्य व्यवसाय कृषि है।
सुजलाम, सुफलाम, शष्य-शामलाम हमारी धरती है।
आज गाँव की और किसान की क्या स्तिथि है ?
सबका अन्नदाता आज भूखा है , आत्महत्या कर रहा है।
गाँव का युवा शहरों की और पलायन कर रहा है।
घर वीरान हो रहे है , खेती बंजर हो रही है।
मज़दूर नहीं मिल रहे है खेती करने के लिए।
यही हाल रहा तो देश दाने-दाने को तरस जायेगा।
हमें दूसरे देशो से अनाज लेना पड़ेगा।
मोदी सरकार के बजट से अगर किसानो को रहत मिलती है ,
कृषि क्षेत्र का विकास होता है तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है ?
किसानो की समृद्धि से ही देश खुश हाल और आत्मनिर्भर हो सकता है।
सुजलाम, सुफलाम, शष्य-शामलाम हमारी धरती है।
आज गाँव की और किसान की क्या स्तिथि है ?
सबका अन्नदाता आज भूखा है , आत्महत्या कर रहा है।
गाँव का युवा शहरों की और पलायन कर रहा है।
घर वीरान हो रहे है , खेती बंजर हो रही है।
मज़दूर नहीं मिल रहे है खेती करने के लिए।
यही हाल रहा तो देश दाने-दाने को तरस जायेगा।
हमें दूसरे देशो से अनाज लेना पड़ेगा।
मोदी सरकार के बजट से अगर किसानो को रहत मिलती है ,
कृषि क्षेत्र का विकास होता है तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है ?
किसानो की समृद्धि से ही देश खुश हाल और आत्मनिर्भर हो सकता है।
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