Monday, 7 July 2014

Naari aur uska career!!!

आज कल नारी और उसका करियर चर्चा का विषय बना हुआ है।  एक बड़े कंपनी में उचे पद पर आसीन महिला की बात को लेकर।  आज महिलाये हर क्षेत्र में कार्य कर रही है , और अच्छी तरह से कर रही है , पर यह बात भी सही है की एक स्त्री को घर और परिवार भी साथ - साथ सम्भालना होता है।  अगर वह नौकरी करती है तो शायद उतना वक़्त अपने परिवार और बच्चो को नहीं दे पाती है पर इस कारण वह अपने करियर, महत्व कांषा, इच्छा, योग्यता सबको दाँव पर लगा दे ? आज बहुत सी महिलाये है जो अपना कार्य और घर दोनों को अच्छी तरह संभाल रही है बिना रूकावट के।  अगर स्त्री काम कर रही है तोह घर की आर्थिक स्तिथि मज़बूत होगी।  वह अपने बच्चो और परिवार को ज्यादा सुख - सुविधा दे पाएगी। 

हाँ उसे सरल बनाने के लिए पुरुषवादी मानसिकता को त्यागना होगा।  दोनों को मिल-बाटकर काम करना होगा।  घर और बच्चो के संभाल ने की जिम्मेदारी दोनों को बखूबी निभानी होगी।  राजनितिक कार्यकर्ता से लेकर राजनैतिक विश्व में अच्छे पद पर आज नारिया कार्य कर रही है। डॉक्टर , इंजीनियर , वैज्ञानिक ही नहीं अंतरिक्ष यात्री के रूप में भी अपनी पहचान बनायीं।  व्यापार जगत भी इससे अछूता नहीं।  अगर औरत केवल घर ही संभालती तोह आज इंद्रिरा गांधी, बेनज़ीर भुट्टो, मीरा कुमार, मायावती, चंदा कोचर ऐसे न जाने कितने महिलाओ के कार्यकलाप से हम परिचित ही न हो पाते।  यह तो कुछ चंद  नाम है पर किसान की औरत से लेकर मछ्वारे तक औरते घर और बाहर दोनों काम करती है।

आज तो  विज्ञानं का युग है।  घंटो के काम मिंटो में हो जाते है।  तो वह क्यों नहीं अपने समय का उपयोग करे। ऐसे भी जब बच्चे बड़े हो जाते है तोह उसके पास कुछ काम नहीं बचता।  वह भी व्यक्ति है।  क्यों न अपने व्यक्तित्व को निखारे। उसकी योग्यता का लाभ समाज को मिले। इंजीनियरिंग, एमबीए,  एमबीबीएस, एलएलबी , आदि की पढाई कर वह घर में बैठे गी तो क्या उसके मन में कुंठा नहीं उत्पन होगी ? ज्ञान को दबा कर नहीं रखा जा सकता।  उसको तो प्रसाद करने का मौका मिलना चाहिए और स्त्री में इतनी शक्ति है की परिवार और करीर में सामंजस्य बनाये रख सकती है , बस उससे थोड़ा सा सहयोग चाहिए।  नारी को सम्मान दिलाने के लिए प्रथम आवश्यकता है की वह स्वयं को नारी होने के अपराध भाव से मुक्त करे।  उसके सामने खुला आकाश है, वह अपनी उड़ान भरने में कोई कसर न छोड़े। 



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