जीते तो सब पर जीवन जीने की कला सबको नहीं आती
कोई रोकर ,कोई दूसरों को दुख पहुँचाकर
कोई बोली और ताना देकर
कोई दूसरों को दुखी देखकर
कोई जलन और ईष्या में ,किसी का अपमान कर
कोई स्वयं में कूढते और जिंदगी को कोसते हुए
कोई निरपराध जीवों की हत्या कर
कोई ईश्वर पर या अपनों पर आरोप ,प्रत्या रोप कर
कोई असंतुष्ट रह तो कोई हाय- हाय कर
कोई बेईमान ,झूठा ,भ्रष्टाचारी ,लालची बन
हॉ पर यह जीना है क्या?
क्यों नहीं दूसरों के खुश में खुशी होते
जलन ,ईष्या से दूर रहते
क्षमा ,ईमानदारी का पालन करते
संतुष्ट और मितव्यी बनकर
जीवदया और करूणा की मिसाल बन
जो मिला है उसे ईश्वर का वरदान मानकर
दो मीठे बोल ,बोलकर
भी तो जीया जा सकता है
जिसने यह जीवन ,जीने की कला सीख ली
वह अपना जीवन सार्थक बना गया
जीओ और जीने दो
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Saturday, 17 September 2016
जीओ और जीने दो
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment