पितृ पक्ष शुरू हो गया है
पितरों के लिए खाना निकाल कर रखा जाता है
भोजन साफ - सुथरा और उनकी मनपसन्द का
मांसाहार ,नए कपडे इत्यादि को छोडा जाता
बहुत सी व्यक्तिगत जैसे ढाढी न बनाना ,केश न कटवाना , शुभ कार्य न करना इत्यादि
कौए को भोजन रखा जाना
तिथी के अनुसार श्राद्ध करना
पंडितों को दान- दक्षिणा देना
गरिबों को खाना खिलाना और कपडे बॉटना
पितरों की याद में यह सब ठीक है
उनके सम्मान में दूसरे लोगों का भी पेट भर जाता है
पर जीवित रहते यह सम्मान दिया क्या??
पितृ दोष न लगे ,उनका आशिर्वाद बना रहे
हमारी संतान फले- फूले
इस कारण यह सब.
मरने के बाद भी उनसे अपेक्षा
हर मॉ- बाप अपनी संतान का भला ही चाहेगे
तो क्यों न जीते- जी भी यह सम्मान दिया जाय
उनसे प्रेम और मीठे बोल बोला जाय
स्वर्ग कोई टिफिन सर्विस नहीं है
जो यहॉ से उनको खाना भेजा जाय
पन्द्रह दिनों के लिए
यही उनको संतुष्ट कर ऊपर भेजा जाय
तो उनकी आशिर्वाद हमेशा रहेगा
यह कैसी विडंबना कि जीते जी पेट न भरे
मरने के बाद पकवान
जीते- जी कपडा न मिले
मरने पर नया कफन.
यही पर सोचे
पृथ्वी पर ही तो और भी अच्छा
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Sunday, 18 September 2016
जीते जी भी तो कर लो मॉ - बाप का सम्मान
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment