आईने मे आज अपना अक्स देखा
लगा बहुत कुछ. कह रहा है
आईना कभी झूठ नहीं बोलता
जो है जैसा है वही दिखता है
सुंदरता हो या कुरुपता
पिंपल्स हो या दाग
काला हो या गोरा
कुछ भी नहीं छिपाता
याद आ गया बचपन
जब जीभ निकाल उसके सामने खडे रहते
जवानी भी याद आई
जब घंटों खड़े रह खुद को निहारते
अब उम्र ढलने लगी
बालों मे सफेदी झिलमिलाने लगी
चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगी
आईना भी वहीं , हम भी वही
बस वक्त बदला है
आईना केवल अपना ऊपरी रूप नहीं दिखाता
अंतरमन भी दिखाता है
हमसे बात करता है
इससे हमारी रोज मुलाकात होती है
इसे देखे बिना हम बाहर नहीं निकलते
जिंदगी की वास्तविकता से परिचय कराता है
सालोसाल साथ निभाता है
इससे अहम रिश्ता दूसरा कोई नहीं
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Saturday, 9 June 2018
आईना
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