यह तो छोटू है
सब काम कर सकता है
बच्चे खिलाने से लेकर साफ-सफाई
चाय की दूकान से लेकर किराना
सब जगह यह हाजिर
छोटा पर काम तो बडे जितना
हाँ, पैसा कम देना पड़ता
हर्ज ही क्या है
सरकार के कानून बनाने से क्या??
कोई जबरदस्ती तो नहीं
अपनी इच्छा से कर रहे
हम क्या कर सकते हैं
इनको पढाई कराने की जिम्मेदारी इनके माँ-बाप की
अब उनको पैसा चाहिए
बचपन से ही कमवाना है
यह हमारे लिए तो छोटू
पर अपने परिवार का बड़ा ् कमाऊ
नहीं काम किया तो भाई -बहन की परवरिश कैसे होगी
इसके छोटे कंधों पर भार
लोग भी फायदा उठा लेते
कम पैसे मे काम
छोटा सा पेट
छोटी खुराक
इससे ज्यादा फायदेमंद साबित क्या होगा
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Sunday, 17 June 2018
छोटू
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