Saturday, 16 June 2018

मेरी जीवन नैया

तैरने चली थी
आशा थी विश्वास था
इसको तो मैं पार कर लूगी
सबको देखती थी
मैं तो मेहनत कर सकती हूं
साहस था बल था
तैरते परेशानी आई
पर लहरों को पार करती गई
लगा अब सब अच्छा है
सफलता मिलती रही
अचानक नैया मंझधार मे फंस गई
कोई रास्ता नहीं दिख रहा
लगा सब बेकार है
जीवन यही थम गया
आँखो के आगे अंधेरा
नैराश्य ने आ घेरा
जीवन यही थम गया
कुछ नहीं दिख रहा
अब तो नजर ऊपर वाले पर है
कब मेहरबान होगा
अब तो साहस ही खत्म
क्या खता हुई
दोष किसका??
तकदीर का अपना या और किसी का
सब प्रयत्न असफल
जब भाग्य ही साथ न दे
हाथ-पैर मार कर क्या होगा
नैया तो वहीं रूकी है
डूबेगी या किनारे पर लगेगी

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