पप्पू के भैया
बबलू के पापा
सुनील की अम्मा
आभा की भाभी
ए जी ,ओ जी
अजी सुनती हो
आजकल सुनाई नहीं देते
अब तो सीधे नाम लेकर
ज्यादा कुछ लगा तो जी लगा दिया
वह समय बीत गया
जब नाम लेना पाप समझा जाता था
उम्र कम हो जाएगी
पति को तो छोड़ दे
कुछ जगहों पर तो जेठ -देवर का नाम भी नहीं लिया जाता था
नाम समझने के लिए न जाने कितना समय लग जाता था
ईशारा कर समझाया जाता था
हंसी के फुहारें भी छूटती थी
आज नाम प्रधानता का युग है
हर व्यक्ति अपना नाम से पहचाना जा रहा है
पुरुष और महिला बराबरी पर है
तब संबोधन भी बदल गए हैं
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Tuesday, 5 March 2019
संबोधन बदल गए
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