Friday, 12 November 2021

मैं मिर्ची हूँ मिर्ची

मैं मिर्ची हूँ
बहुत तीखी हूँ
फिर भी सबको पसंद हूँ
किसी को ज्यादा
किसी को कम
मेरे बिना सब्जी - सूप बेस्वाद
सू सू सी सी करेंगे
पर खाएंगे  जरूर
भेल पुरी हो
सेव पुरी हो
बटाटा बडा हो
पकौडा- समोसा हो
इनके साथ मैं हमेशा विद्यमान
हाथ से काटे तो जलन
मुंह में जलन
पेट में भी जलन
तब भी मेरा ग्रहण
नया हो या पुराना
इंडियन हो या चाइनीज
सबमें मिर्ची जरूरी
बूढे हो बच्चे हो जवान हो
सब खाते हैं
तीखी पाव - भाजी चटखारे ले  लेकर
हाँ मेरी जात अलग अलग है
कुछ बहुत तीखी
कुछ मध्यम
कुछ कम
आकार भी अलग-अलग
नाम भी अलग-अलग
कोई भोपली तो कोई लवंगी कोई कश्मीरी
रंग भी
कुछ सुर्ख हरे
कुछ सुर्ख लाल
कुछ पीले
नजर - गुजर उतारने में माहिर
नींबू के संग सजती हूँ
दरवाजे- गाडी में लगती हूँ
सबको अपने रंग में रंग लेती हूँ
मैं मिर्ची हूँ मिर्ची

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