Thursday, 9 December 2021

समय के साथ बदलाव जरूरी है

वह दोस्तों का संग
वह साइकिल की सवारी
वह पेंग मारना
एक बैठा आगे
एक बैठा पीछे
पैडल मारे चले जा रहे
सरपट भगाते हुए
कभी गिरे
कभी चोटिल हुए
पर साइकिल न छूटी
पाठशाला पहुंचाया
कालेज पहुंचाया
हर छोटे-बड़े काम
जैसे आटा पिसवाना
धनिया- मिर्ची लाना
दही लाना
मेहमानों के लिए पकौडे और मिठाई लाना
न जाने क्या-क्या
आज यह पडी है
अब मोटर साईकिल आ गई है
फर्राटेदार
दिखने में भी लाजवाब
उस पर बैठ
हम भी किसी हीरों से कम नहीं
तब क्या हम अपनी साइकिल को भूल गए
नहीं यह तो हो ही नहीं सकता
वह हमारा बचपन है
अब उससे थोडा आगे बढे हैं
फर्राटा मारना जरूरी है
वह भी ठीक था
यह भी ठीक है
समय के साथ बदलाव जरूरी है ।

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