Tuesday, 29 April 2025

हमारी लीना

ईना मीना डीका 
सब का रंग पड़ा फीका
एक ही रंग था सब पर भारी 
वह थी लीना बस लीना 
ऑफिस में एक ही आवाज थी सबसे दबंग
जिसके आगे सब हो जाते थे ढेर
नहीं किसी की चलती न वह किसका सुनती 
बस अपने ही धुन में रहती 
सारा दारोमदार उसके कंधों पर
वह उसे बखूबी संभालती 
प्राचार्या से लेकर पीउन तक सब उस पर निर्भर 
उससे पंगा लेना यानि अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना 
सब उसके आस-पास चक्कर लगाते 
अपनी अपनी समस्या सुनाते 
सबकी वह प्यारी 
उसके बिना नहीं होता कुछ काम 
हंसती रहती बोलती रहती 
मेरा - उसका नाता बहुत पुराना 
घुमा - फिरा कर बात करना उसे आता नहीं 
बोली में मिठास की झूठी चाशनी घोलना उसे भाता नहीं 
जो है तड़ाक से मुख पर बोलना चाहे जो हो
मैं नई नई वह भी नई नई 
मुझे परमानेन्ट होने का संदेश उसने ही दिया था 
ऑफिस के काम से हटकर भी काम किया है 
न जाने कितने मौके पर सहयोग किया है 
फिर वह विल्सन से अर्जेंट में बेटे का लीविंग सर्टिफिकेट निकलवाना हो या डाॅक्टर से अपाइमेंट 
कितनी बार ऑफिस में बैठ गप्पे मारे हैं 
एक - दूसरे के सुख - दुख सुना है 
घर - बच्चों - परिवार की बातें की है 
रुठे भी हैं नोक-झोंक भी की है 
यह सब तो एक अपनेपन का हिस्सा है 
जिंदगी जहां इतने साल गुजारी हो 
वहां तो यह होना ही है 
आखिरी किस्त अभी कुछ महीने पहले ही आई थी 
फोन कर मुझे बताया और कहा 
अब तेरा - मेरा रिश्ता खत्म 
मेरा भी इस साल रिटायर है 
मैंने कहा रिश्ता हमारा बस हिसाब- किताब का नहीं है
वो तो जारी रहेगा 
वो अभी भी जारी है 
तुम्हारा रिटायर मेंट के बाद का जीवन सुखद और शांतिपूर्ण रहें 
यही कामना है 
ऑफिस जरूर सूना हो जाएगा 
कुछ दिन में दूसरा भी आ जाएगा 
पर दूसरी लीना नहीं 
ऐसी दमदार आवाज नहीं सुनाई देगी 
वह हंसता हुआ नूरानी चेहरा भी नहीं 
कहते हैं ना 
जब तक था कोई मुझे समझा नहीं 
जाने के बाद सबको समझ आने लगा 
मैं तो जो था अब भी वही हूं 
हां आपकी सोच जरूर बदली है

Tuesday, 1 April 2025

माॅ है ना मेरी

अपने रूप में भेजा तूने 
तुझको को देखा नहीं 
हां इसको तुझसे कुछ मांगते हुए जरूर देखता हूँ 
वह भी अपने लिए नहीं मेरे लिए 
हंसी आती है इस पर
सब कुछ तो यह पूरा करती है 
नाज - नखरे उठाती है 
यह तो कुछ भी कर सकती है मेरे लिए 
किसी से भी लड़ सकती है 
अगर तूने इसके हाथ में अधिकार दिया होता 
मेरा भाग्य लिखने का
तब तो शायद बात ही कुछ और होती 
एक कंकड़ भी नहीं चुभ पाता 
यह अपने ऑचल में ही छुपाकर रखती 
मुझे काम ही नहीं करने देती 
अपने ऑंखों से ओझल नहीं होने देती 
तू भी यह बात जानता है 
बेटा है न किसी का 
उसके बिना तो तू भी नहीं आया 
सबने भले भगवान को भगवान माना 
मां ने तो बेटा ही माना 
उसकी नजर भी उतारी 
डाटा भी मारा भी 
उसको तेरे मुंह में ब्रहांड नहीं दिखा 
मिट्टी जो खाया वह दिखा 
तूने भी जाना होगा उसे 
हमारी इच्छा भले न पूरी करता हो 
माँ की तो जरूर सुनता है 
तभी तो मैं तुझसे कुछ मांगता ही नहीं 
माँ है ना मेरी