Tuesday, 11 January 2022

सृष्टि का सत्य

आज सुबह का नजारा
सूर्य देव का धीरे-धीरे आगमन
साथ ही सभी का रोजी - रोटी की तलाश में निकल पडना
रोड पर भरी हुई बस
ऐसा लगता है कि
अभी तो सात ही बजे हैं फिर भी
ठंड की सुबह है
पक्षी  दाना चुगने के लिए उडान भर रहे
कौआ पास ही गैलरी में बैठ कांव कांव की ध्वनि
वह भी भोजन की तलाश में
इतने में एक चील आकर बैठती है
उसके पंजों में चूहा है
वह खाने की शुरुआत करने जा रही है
देख मन विचलित हो गया
तत्क्षण ध्यान आ गया
यह अपना काम कर रही है
भोजन मिला है उसे
ऐसे न जाने कितने जीव - जंतुओं को जाने - अंजाने में हम मारते हैं
खटमल,  काक्रोच,  चूहा यह भी तो जीव ही हैं
यहाँ तक कि जब जान पर बन आए तब पूजें जाने वाले सर्प को भी नहीं छोड़ते
अपनी रक्षा का अधिकार सबको
फिर अहिंसा क्या हुई
मन दार्शनिक बन गया
चौरासी लाख योनि में जन्म लेना ही पडेगा
हम तो हर दिन कोई न कोई जीव हत्या करते ही हैं
तब उसका परिणाम
पर कर्म किए बिना भी तो नहीं रह सकते
यही सत्य है सृष्टि का ।

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