हास्य भी मर्यादा में होना चाहिए

हँसना और हँसाना अच्छी बात है
और आज की यह जरूरत भी है
इस आपाधापी के युग में तो यह एक औषधि है
प्राचीन काल में भी राजाओं के दरबार में हास्य कवि होते थे
पुरानी फिल्मों में भी अभिनेता के साथ एक हंसोड साथी अवश्य रहता था
महमूद ,जॉनी लिवर न जाने कितने
विश्व प्रसिद्ध चार्ली चैपलिन को कौन नहीं जानता
हँसी का पुट होना चाहिए पर हँसाने के नाम पर जनता को भौंडी कॉमेडी परोसी जाय
किसी का मजाक उडाया जाय
शालीनता की सीमा को पार किया जाय
अभिनेता मनोज कुमार की कॉमेडी करने पर किस तरह उन्होंने शाहरूख से माफी मंगवाया था
इससे कोई अंजान नहीं है
मजाक ,मजाक तक ही सीमित रहना चाहिए
हद नहीं पार करना चाहिए
द्रोपदी ने दुर्योधन का मजाक उडाया था जिसका परिणाम भरी सभा में चीरहरण के रूप में हुआ.
आजकल you tube पर बहुत से ऐसे कलाकार है जो मनोरंजन कर रहे हैं
उनमें से एक नाम तन्मय भट्ट का भी है
जिसने हाल ही में सचिन तेंडुलकर और लता जी पर कॉमेडी की है
जिसका सभी दल चाहे वह एन सी पी हो या एम एन एस या भाजपा
विरोध कर रहे हैं
सचिन और लता जी दोनों भारत रत्न हैं.
एक क्रिकेट का भगवान तो दूसरी स्वर सम्रागी
कुछ तो सोचना चाहिए
आजकल सोशल मीडिया पर किसी का मजाक उडाना या उल्टा- पुल्टा कहना फैशन हो गया है
नेताओं को तो मजाक का पात्र बनाया ही जाता है
कहीं - कहीं भगवान को भी नहीं बख्शा गया है
जिसका परिणाम भंयकर हुआ है
इसलिए मजाक का भी एक हद होनी चाहिए
उसका उद्देश्य किसी की दुखती रग पर हाथ रखना या किसी का अपमान नहीं
एक साफ - सुथरी कॉमेडी होनी चाहिए

डॉक्टर भी बेईमान तो कहॉ जाए आम इंसान

बीमार होने पर डॉक्टर के यहॉ लोग जाते हैं
डॉक्टर भगवान का रूप समझा जाता है
पर आजकल डॉक्टर लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं
इनकी पैथालॉजी से साठगॉठ रहती है ,इतना ही नहीं औषधिविक्रेताओ से भी
जरूरत न होने पर भी तमाम तरह के टेस्ट लिख देते हैं
इसमें उनका कमीशन शामिल रहता है
कितनी बोगस पंथालिजी प्रयोगशालाएं चल रही है
मरीज डर कर टेस्ट कराता है क्योंकि स्वास्थ्य का सवाल है
एम आर आइ ,सीटीस्केन, थायराॉइड ,एक्स रे
इनसे दलाली मिलती है
आज एक साधारण सर्दी - जुखाम के लिए भी न जाने क्या - क्या लिख देते हैं
पहले एक फँमिली डॉक्टर होते थे ,छोटी - बडी सभी बीमारियों का इलाज करते थे
ज्यादा होता था तो स्पेशलिस्ट के पास भेजते थे
मलेरियॉ वगैरह का टेस्ट कराने के लिए कहते थे
आज तो हर बात में ऑपरेशन का प्रस्ताव दे दिया जाता है
पैसै मिलते हैं,लाखों में कमाई होती है
यह जो डॉक्टरों की मिलीभगत है और दलाली का धंदा चल रहा है उस पर कडी कारवाई होनी चाहिए
आज डॉक्टरी पेशा व्यवसाय बन गया है
विज्ञापनों से अखबार भरे रहते हैं
दलाली के दलदल में ये लोग फंस गए है
और मरीजों की जिंदगी से खिलवाड कर रहे हैं
डॉक्टरी पेशे को लज्जित कर रहे हैं
मरीज पैसा उगाही का साधन बन गया है

जनता काम चाहती है दिखावा नहीं

सरकारे आती है ,जाती है,  जश्न मनाती है
कभी चुनाव जीतने पर ,कभी हिसाब -किताब बताकर
विज्ञापन पर विज्ञापन ,हर कोई होड में
एक -दूसरे से आगे निकलने की
हमने यह किया ,हमने वह किया ,उन्होंने कुछ नहीं किया - सारा विकास हमारे आते ही
साधारण जनता समझ नहीं पा रही
यह क्या हो रहा है
सजावट ,मंच ,विज्ञापन
इनकी जरूरत ,जनता की आवश्कताओं से ज्यादा है क्या?????
करोडो रूपए खर्च हो रहे हैं
बिजली की कमी है लेकिन पांडाल चमचमा रहे हैं
पानी की कमी है लेकिन बेहिसाब पानी बहाया जा रहा है
किसान शहर की ओर पलायन कर रहे हैं या
फिर स्वर्ग की तरफ
कृषि प्रधान देश कुर्सी प्रधान देश बन कर रह गया है
समाजवाद ,परिवारवाद बनकर रह गया है
सडक पर सत्याग्रह कर सत्ता में आए लोग टेलीविजन पर आने में लगे हैं
धर्म निरपेक्षता पार्टियों में सिमट कर रह गई है
दलित राजनीति ,धर्म की राजनीति ,आरक्षण की राजनीति
विकास की बात तो सब करते हैं पर चुनाव आते - आते सब अलग-अलग लोगों को रिझाने में लग जाते हैं
गिरगिट की तरह रंग बदला जाता है
भाषण देने में माहिर नेता जोश में ऐसा कुछ बोल जाते हैं ताकि आपसी दुराव पैदा हो जाय
राजनीति के नाम पर कुछ भी कर सकते हैं
एक - दूसरे को कोसने वाले गले मिल जाते हैं
जनता को ही डराने लगते हैं
स्वयं को सेवक नहीं स्वामी समझने लगते हैं

Wednesday, 18 May 2016

रामदेव बाबा और लालू जी - दोनों को ही मार्केटिंग में महारथ हासिल

बाबा रामदेव और लालू जी ये वह शख्सियत है जिनको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
एक को राजनीति में महारथ हासिल है और दूसरे योग गुरू  जिनका बिजनेस करोडो का टर्न ओवर कर रहा है ,बडी - बडी कंपनियॉ पीछे जा रही है
लालू जी ने भी अपने दोनों बेटो को सत्ता तक पहुँचा ही दिया
समय को भॉपना ये दोनों बखूबी जानते है.
बाबा रामदेव राजनीति में हमेशा दखलअंदाजी के कारण सुर्खियों में रहे है
वैसे इनका नाता कोई नया नहीं है
एक समय था जब बाबा रामदेव की दवाईयों पर इल्जाम लगा था तो लालू ने उनका समर्थन किया था
कि अगर हड्डी का ईस्तेमाल करने से आदमी की बीमारी ठीक हो सकती है तो क्या हर्ज है
अब बाबा को फिर लालू जी याद आ गए
तभी तो अपने उत्पादनों की सौगात लेकर उनके यहॉ पहुँच गए और बाकायदा मीडिया के सामने उसका प्रयोग भी किया
लालू जी के गालों को क्रीम लगाकर चमकाने से लेकर उनको चॉकलेट भी खिलाया
बाबा रामदेव की नजर अब बिहार पर भी है
लालू का दबदबा से वे अंजान नहीं है
पंतजलि को पैर पसारने के लिए जरूरत भी है
बाबा स्वदेशी के नाम पर पंतजलि को आगे ले जा रहे है
लोगों को विश्वास भी हो रहा है
और अगर अच्छी चीज मिल रही हो तो लोगों को खरिदने में क्या हर्ज है
और लालू से अच्छा ब्रॉड अम्बेसडर बाबा को कहॉ मिलेगा
देखते है बाबा और लालू की यह जुगलबंदी क्या गुल खिलाएगी

Sunday, 8 May 2016

एक ही है वो है मॉ - दया नहीं प्यार और सम्मान दें

मॉ जीवन दायिनी है
मॉ की ममता अनमोल है
मॉ ईश्वर का रूप है
मॉ आधार है
मॉ हमारी पहचान है
मॉ प्रेरणा है
मॉ दुख हरने वाली है
मॉ शिक्षक है
मॉ गुणों की खान है
मॉ रसोईयॉ भी है
मॉ हमारे सारी भावनाओं को आत्मसात करने वाली है
सुख - दुख ,क्रोध- निराशा ,उदासी और चिडचिडापन
जब मन करें उसको बोल दो और मुक्त हो जाय
पर उसकी भी भावनाएं ,उनका क्या
ऐसा तो नहीं कि हम जाने - अनजाने उसको दुख दे देते हैं  Take for granted लेते हैं
वह भी इंसान है
बच्चे बडे हो या छोटे
मॉ तो मॉ ही रहती है
उसके प्यार में कोई फर्क नहीं
पर संतान बदल जाती है
मॉ को कम से कम मॉ समझे
ईश्वर नहीं इंसान समझे
कभी उसने दिया आज हमारी बारी है
वह भी प्यार और सम्मान की अधिकारी है

Tuesday, 3 May 2016

फिर याद आए प्रमोद महाजन

भाजपा के इस कद्दावर नेता की उनके ही छोटे भाई ने गोली मारकर घर में मौत के रास्ते पर पहुंचा दिया था
महाराष्ट्र में क्या वे पूरे भारत मे अपनी पहचान बना चुके थे
मुंबई उनकी कर्मभूमी रही है
उन्हें भाजपा का लक्षमण भी कहा जाता रहा है
उनके बोलने का ढंग, चलने का अंदाज   और अपने प्रतियोगियों को जवाब देकर चारों खाने चित्त करने का अंदाज ही निराला था
मुस्कराता हुआ चेहरा और सभी से उनके अच्छे संबंध
पता नहीं उस सुबह क्या हुआ कि उनके ही छोटे भाई ने यह कॉड किया
यह तो रहस्य ही है और भाई भी इस दुनियॉ में नहीं है
अब तो उस राज से कभी पर्दा नहीं उठ सकता
पर भारतीय राजनीति ने अपना एक चमकता हीरा खो दिया
शायद महाजन जीवित होते तो शायद तस्वीर कुछ और ही होती
भारत की यह विडंबना रही है कि उसने अपने ऐसे न जाने कितने युवा नेताओ को असमय खो दिया
वे चाहे किसी भी पार्टी से जुडे हो लेकिन उनकी जगह कोई नहीं ले सकता
फिर वह चाहे राजीव गॉधी हो ,माधवराव सिंधियॉ हो या गोपीनाथ मुंडे हो
देश को उनकी जरूरत थी
उनकी जाना देश के लिए दुर्भाग्यपुर्ण ही रहा है

बिहार में शराब बंदी - नितीश कुमार सच में सुशासन पुरूष

बिहार में शराब बंदी लागू करना ,बहुत अच्छा लगा
बधाई के पात्र है नीतिश कुमार
आजकल शराब का चलन इतना बढ गया है कि लोग बर्बाद हो रहे हैं
परिवार के परिवार तबाह हो रहे हैं
पीने वाला तो पीता है पर उससे जुडे लोगों की जिंदगी नरक बन जाती है
खुद तो होश में नहीं रहता
पहले तो शौक के लिए पीता है पर बाद में यह जान लेवा बन जाती है
एक बार चिपकी तो छोडने का नाम नहीं लेती
शराब न मिलने से दो लोगों की मौत हो गई
काफी तादाद नें कफ सिरप बिके
अब इसे विडंबना नहीं कहा जाय तो क्या कहा जाय
जहरीली शराब पीने से हर साल न जाने कितनी जाने जाती है
अखिलेश को भी अपने पडोसी को देख उत्तर प्रदेश में भी यह कानून लगा देना चाहिए
औरते परेशान है
सुबह से ही शराब पीने का कार्यक्रम चल पडता है
सारी लाज शरम धुल गई है
बाप- बेटे और चाचा - भतीजा साथ- साथ पीते दिखाई देते हैं
शादी ब्याह में तो जो हरकतें होती है उसका बयान नहीं किया जा सकता
जानवर से भी बदतर हालत हो जाती है
कुछ तो सारा माहौल खराब कर देते हैं
यहॉ - वहॉ लोटते और अंट- शंट बकते हैं
नशा पूरी तरह से हावी हो जाता है
अगर यही हाल रहा तो समाज कहॉ जाएगा
चुनाव के समय तो नेता भी जीतने के लिए शराब औ मॉस का सहारा लेते है
जम कर लोगों को पिलाया जाता है
नितीश बधाई के पात्र है
महिलाएं उनको दिल से धन्यवाद देगी
और लोगों को भी उनका अनुकरण करना चाहिए

Monday, 2 May 2016

फिर चमका सोना

सोना या स्वर्ण हमेशा से ही लोगों को ललचाता रहा है
रामायण में जानकी का सोने के प्रति प्रेम ही उनके अपहरण का कारण रहा
न राम मृग के पीछे जाते न हरण होता
रावण की सोने की लंका तो सर्व विदित है
सोने के प्रति व्यक्ति मोह छोड ही नहीं पाता
बीच में कुछ समय के लिए सोने के दाम बढना रूक गए थे बल्कि कम भी हो गए थे
लगा कि अब यह मोह कम हो जाएगा
सरकार भी इसके लिए प्रयत्न शील है
पर यह मोह तो मानता नहीं
मंदिरों में भी सोना पडा है
हर घर में भी सोना है क्योंकि हमारे यहॉ हर मौके पर सोना खरिदने का रिवाज है
दहेज का कारण भी यही है
लूटमार की आए दिन घटनाएं बढ रही है
वह राजा की यह कहानी कि जो भी वरदान मॉगे मिल जाएगा तो उसने यही वरदान मॉग लिया कि
जिस चीज को हाथ लगाए ,वह सोना हो जाएगा
इस तरह उसने अपनी बेटी को भी हाथ लगा दिया
यह स्वर्ण मरीचिका खत्म होने का नाम नहीं लेती
आज फिर सोने के दाम तेजी से बढ गया है
क्योंकि डॉलर कमजोर हुआ है
ऐसे ही चलता रहा तो यह कहॉ जाकर खत्म होगा
सोनारों की हडताल खत्म हो चुकी है
इस बार तो सोने पर राजनीति हो रही है
न जाने यह कहॉ जाकर खत्म होगी

प्रधानमंत्री की शिक्षा और डिग्री

उस दिन मैं एक टी वी चैनल पर डिबेट देख रही थी
एक प्रवक्ता  बोल रहे थे कि
किसी बडे महान व्यक्ति और बडे पोस्ट संभालने वाले व्यक्ति से पूछा कि उन्होंने कहॉ से शिक्षा ली है
तो जवाब मिला - सेंट बोरीज से
इसका तो नाम नहीं सुना
तो पता चला पेड के नीचे बोरे पर बैठकर पढाई की है
अरविंद केजरीवाल ने यह पूछा है तो ठीक है प्रधानमंत्री की शिक्षा और डिग्री के बारे में
यह जानने का हक भी है
अरविंद केजरीवाल पढे - लिखे प्रशासनीक परीक्षा पास किए हुए व्यक्ति है
पर हमारे मोदी जी कहीं पर भी उन्नीस नजर नहीं आते
उन्होंने अनुभव और काम की पाठशाला में अपनी पढाई पूरी की है
वे तो खुद एक चलती - फिरती पाठशाला है
अब गुजरात यूनर्विसिटी ने खुद आगे आकर बताया है कि वे प्रथम श्रेणी में राजनीति शास्र में हासिल की है
मोदी जी का समय अलग था
परिस्थितियों अलग थी उस पर भी उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की है
वे लालू प्रसाद के बेटे नहीं या मोतीलाल नेहरू के बेटे हैं
शिक्षा के महत्तव को नकारा नहीं जा सकता
जब हमारे प्रधानमंत्री जी बोलते हैं तो कोई बता सकता है कि ये किससे कम हैं
वे केजरीवाल की तरह अन्ना का सहारा लेकर रातोरात नेता नहीं बने हैं
न किसी बाप- दादा से कुछ विरासत हासिल की है
वे अपना काम कर रहे हैं उनको काम करने दिया जाय
यह फालतू का कोई न कोई शगूफा छोडने से कुछ हासिल नहीं होने वाला
जनता उनको देख भी रही है ,सुन भी रही है
उनको इन सबसे कोई फर्क नहीं पडने वाला
अरविंद जी भी दिल्ली को संभाले
उनको भी काम सौंपा गया है वह करें
प्रधानमंत्री को निशाना बनाना छोडे

क्यों मजबूर है मजदूर

एक मई - लेबर डे
यह तो साल में एक बार आता है
पर यहॉ मजदूर रोज मरता है
रोज कुऑ खोदना और रोज पानी पीना
यह उस पर लागू होता है
देश के विकास में जिसका योगदान होता है
लोगबाग उसे भूल जाते हैं
वह सडक पर ही जिंदगी बसर करता है और वही मर जाता है
लोग ऊपर से उन्हें ही कोसते रहते हैं कि इनका कोई रैन - बसेरा नहीं है क्या?
हमारे सडक,ईमारतें ,रेल या जो भी चमचमाते हुए दिखाई देते हैं
इन मजदूरों की बदौलत ही है
आए दिन समाचार आते रहते हैं ,पटरी पर काम करने वाले मजदूर रेल से कटकर मर गए
बिंल्डिंग में काम करते वक्त मजदूर की गिरकर मौत हो गई
कभी - कभी तो एक ही साथ कितनों की मौत हो गई बॉस के बॉबू टूट जाने के कारण
जब तक उसके पास ताकत रहती है तब तक वह काम करता है, एक दिन बीमार हो गया तो खाने को भी मोहताज
इनकी कोई कद्र नहीं
जब दंगा -फसाद होता है या राजनीतिक पार्टियॉ अपने फायदे के लिए बवाल करवाती है
तो पहला निशाना यही लोग होते हैं
इन्हें ही मार - मार कर खदेडा जाता है
क्योंकि इनका घर - द्वार नहीं होता
यह अगर बैठ जाय तो सारा कामकाज ठप्प हो जाएगा
विकास की गति वहीं रूक जाएगी
आज कारपरोट जगत में जो काम कर रहें है वह भी आराम से ,क्योंकि घर में नौकर और काम करने वाली बाई है.
बच्चे संभालने से लेकर घर का सारा काम
चमचमाते ऑफिस इनके कारण ही है
आज सफाई कामगार न हो तो क्या होगा
इनकी अहमियत समझनी पडेगी
इनको वेतन देकर हम कोई अहसान नहीं करते बल्कि ये हमारा जीवन आसान बना रहे हैं
आज शहरों की ओर पलायन क्यों हो रहा है
कोई खेती और मजदूरी करना नहीं चाहता
मजदूरों के अभाव में खेती की और दुर्दशा हो रही है
आद वह मनरेगा में काम करेंगे पर खेत में नहीं
बडे किसान परेशान है
बहुत ताकत है इनमें
केवल कामगार दिवस मनाने से नहीं बल्कि इनकी क्षमता को पहचानना होगा
निराला जी की कविता याद आ रही है
" वह तोडती पत्थर ,मैंने देखा इलाहाबाद के पथ पर"

Sunday, 1 May 2016

जय - जय महाराष्ट्र माझा - मी मुंबई कर

आज महाराष्ट्र दिवस है ,यहॉ रहने का मुझे अभिमान है
महाराष्ट्र ने सभी को आत्मसात किया है
हमारी मुंबई तो जान है
ऐसा शहर तो विश्व में ढूढे नहीं मिलेगा
कहा जाता है मुंबई में वह खासियत है
हिन्दी मे कहावत है
उडी - उडी जहाज का पंछी फिर - फिर जहाज पर आवे
मुंबई हमको बुलाती है ,आवाज देती है
यहॉ रहने वाला एक छोटे से घर में भी सुकुन महसूस करता है
विशाल समुद्र जैसा इसका दिल भी है जो सबको आत्मसात कर लेता है
हमारी लोकल ट्रेन भी एक अपनत्व का एहसास देती है
मुंबई रोजी - रोटी देती है
इस शहर ने फर्श से अर्श तक लोगों को पहुंचाया है
यह तो हमारा छोटा सा भारत है
भारत की आर्थिक राजधानी और महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई का तो जवाब नहीं
इस शहर ने रोजी - रोटी दी है
सम्मान दिया है ,अपनाया है
कहीं भी जाते हैं तो कुछ समय के लिए ठीक है
पर सुकुन तो यही मिलता है
गॉव में आसमान भले ही खुला हो पर मुंबई का तो दिल खुला है
यह वह नगरी है जो बिना रूके ,बिना थके अनवरत चलती रहती है
समानता की भावना भी यही दिखाई देती है
नारी सुरक्षा के मामले में भी
यहॉ औरते बेखौफ रहकर अपना काम करती है
रात को भी यह शहर जागता है
एक मुंबई कर होने के नाते मैं गर्व से कह सकती हूं
जय - जय महाराष्ट्र माझा ,गरजा महाराष्ट्र माझा