Wednesday, 8 June 2016

सब कुछ यही रह जाना है,धरा का धरा पर ही धरा रह जाएगा

बहुत सालों के बाद मुझे मेरी प्रधानाध्यपिका मिली
हाथ कॉप रहे थे ,मुँह से अस्फुट आवाज निकल रही थी
सहारे के लिए काठी ले रखी थी
बडी मुश्किल से कदम आगे बढ रहे थे
साथ में सर्वेन्ट भी थी
मैं अतीत में चली गई
क्या चाल, सिल्क साडी ,बात करते समय हाथ हिलाना
और आवाज तो दहाड जैसी होती थी
सब जगह सन्नाटा फैल जाता था
मन में कुछ अच्छा न लगा पर मिल कर खुशी ही हुई
हॉ इस रूप की कल्पना न थी
तब क्या सबका यही हाल होने वाला है
मन विचलित होने लगा
स्वयं के बारे में भी सोच आने लगी
एक समय हम पूरे परिवार को संभालते हैं
वही कभी स्वयं को संभालने में भी अस्मर्थ
शायद इसलिए पुराणों में अमरता प्राप्त करने के लिए क्या- क्या नहीं किया जाता था
राम और रावण की लडाई में हार का कारण उम्र का फर्क भी होगा
रावण राजा दशरथ का हमउम्र था
राम नौजवान और युवा थे
शक्तिशाली रावण को भगवान राम से युद्ध करना मंहगा साबित हुआ
और काल के गाल में समा गया और सोने की लंका धी की धरी रह गई
स्वर्ग तक जाने और अमरता प्राप्त करने की इच्छा धरी की धरी रह गई
यह दो पीढी का युद्ध था और नौजवान पीढी ने पुराने को पछाड दिया
वह भी बंदरों की सहायता से
समय बलवान है और सब कुछ यही रह जाना है
अंत में छह गज जमीन ही चाहिए होती है
फिर भी मानव क्या नहीं करता!??
उसने जो महल बनाए थे उसमें रहने वाला भी कोई नहीं  सही है काल चक्र की महिमा

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