पहले दो लोग आपस में झगडते थे तो दूसरे छुडाने को आ जाते थे आज लोग वीडियो बनाने लग जाते हैं
पहले पडोसी के घर क्या खाना बना है या कौन मेहमान आया है उसकी खबर भी रहती थी
आज वह अस्पताल में भी हो तो किसी को खबर भी नहीं
पहले माता - पिता बच्चों को डाटते थे आज बच्चे उन्हें डाट रहे हैं
आज घर बडा हो गया है लेकिन रिश्ते सीमट गए है
परिवार की कल्पना बदल गई है
लोगों के पास अपनों से बात करने का समय नहीं रह गया है
पहले लोगों के साथ बैठते थे आज टी वी और मोबाईल के साथ बैठते हैं
गुरू को ईश्वर का दर्जा था आज गुरू का स्थान ,
सरकार का वेतन भोगी कहलाया जाना है
अपनी भाषा पर गर्व करना तो दूर बोलने में भी शर्म आती है
दोस्त या रिश्तेदारों के यहॉ भी बताकर जाना है नहीं तो शिष्टाचार का उल्लघंन होगा.
अब होली- दीवाली भी रिसार्ट में मनाई जाती है
हर बात में सॉरी और थेंक यू बोलना है
सादा जीवन - उच्चविचार दकियानूसी लग रहे हैं
पैसे का बोलबोला है चाहे वह किसी तरीके से आए हो
जरूरत नहीं तब भी गाडी होना जरूरी है
माता- पिता ने कोई उपकार नहीं किया
हमको पालना- पोसना तो उनका कर्तव्य है
भावनाएं बदल गई है
भाई के घर भी बहन बेरोक- टोक नहीं जा सकती है
देर रात तक जगना और सुबह देर तक सोना यह आम बात हो गई है
होटल में खाना यह शान बन गई है
हर चीज में दिखावा यहॉ तक कि ईश्वर की पूजा में भी.
सच में जमाना बदल गया है
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