छोटा सा है पेट ,पर सारी सृष्टि को लिया है समेट
पेट के खातिर भागमभाग
कितना भी करलो उपाय
पर इसका न कोई इलाज
यह तो कभी भरने का नाम ही नहीं लेता
घंटे दो घंटे बाद फिर इसकी मांग शुरू
वर्षों से यही चला आ रहा
सृष्टि के निर्माण से आज तक
हर जीव इसे भरने के लिए प्रयास कर रहा
सुबह होते ही जद्दोजहद शुरू
पशु- पक्षी हो या मनुष्य
रात- दिन काम में लगा रहता
अपना और अपने परिवार का पेट भरने.
न जाने क्या - क्या करता.
पर पेट की भूख तो शॉत होने का नाम नहीं लेती
पेट ही लोगों को एक- दूसरे का दुश्मन भी बना देता
मॉ को अपने नौनिहाल को बेचने पर मजबूर कर देता
विकट परिस्थिती में एक ,दूसरे को मार कर खाने पर मजबूर कर देता
जीव तो करते ही है एक- दूसरे का भक्षण
हर बडी मछली ,छोटी को निगलती है
हर बडा जानवर छोटे को शिकार बनाता है
सब एक- दूसरे पर आधारित
यह दोस्त भी बनाता है और दुश्मन भी
भूखे पेट तो भजन भी नहीं होता
पापी पेट को भरने के लिए इंसान ,पशु से भी नीचे गिर जाता है
कभी- कभी कीडो - मकोडो से भी बदतर जीवन बना लेता है
न जाने किस,किसके आगे हाथ फैलाने को मजबूर
गिडगिडाने को मजबूर
कितना भी जतन कर ले
पर पेट के आगे हो जाता मजबूर.
पेट की भूख पर किसी की नहीं चलती
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