इस स्वार्थी दुनियॉ की रीत निराली
जिसकी लाठी उसकी भैंस
बलशाली से ही डरते हैं सब
आप कितने भी अच्छे हो
पर डर का ऐसा डर कि सब की बोलती बंद
नम्रता और शीलता रह जाती है देखती
खौफ निर्माण करने वाले को उत्तर देने मे भी डर
नम्र को प्रश्न पर प्रश्न पूछना
जब तक कि वह उल्टा न बोल दे
मजबूर कर देना
उत्तर देने पर ,हाथ उठाने पर
ईमानदार को बेईमान
नम्र को कठोर
सीधे- सादे को कपटी का जामा पहनाती है
कभी - कभी यही स्वार्थी दुनियॉ
पर जब वह बोलता है तो
अच्छे- अच्छों की बोलती बंद कर देता है
क्योंकि उसने यह स्वेच्छा से यह सब नहीं
मजबूरी में स्वीकार किया है
और जब मजबूरी बोलती है
तो किसी को नहीं छोडती है
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