डॉक्टर का बेटा डॉक्टर
नेता का बेटा नेता
तो फिर भिखारी का बेटा भिखारी क्यों नहीं???
नोटबंदी में भिखारियों का भी लाभ
उनसे ज्यादा छुट्टे पैसे किसके पास मिलेगे??
जम कर कमीशन लिया
पैसे कमाए
जन- धन में जमा किया
किसी - किसी भिखारी की कमाई तो हजार रूपए हर दिन की है
अभी हाल में एक भिखारी ने शिरडी में ढेड लाख रूपये का मुकुट बाबा को अर्पण किया
आज का भिखारी खाना नहीं लेता है
उसे पैसे चाहिए
कम दिया तो व्यंग भी करता है
वह अपनी जगह दूसरे को बिठाता है तो उससे किराया लेता है उस जगह का
ऐसे वह दो- चार जगह पर कब्जा कर रखता है
झोपडी में रहता है और उसके बदले घर मिलता है तो उसे बेचकर या किराये पर देकर
दूसरी जगह फिर झोपडी बना लेता है
अब इतनी आसानी से किसकी कमाई???
जीवनयापन को भी स्टेडंर्ड रखने की कोई जरूरत नहीं
फिर वह अपनी नई पीढी को क्यों कुछ दूसरा काम करने की सलाह देगा
या वह क्यों वह मेहनत करेगा
जब आसानी से पैसे उपलब्ध हो
इसलिए इनकी संख्या बढ रही है
फिर वह चाहे किसी भी रूप में हो
इनकी दादागिरी सरेआम चलती है
रास्ते पर भी गोद में बच्चा लिए या किन्नर के रूप में
लोगों को परेशान करते मिल जाएगे
ट्रेन में तो यह आम बात है
नहीं देने पर गाली- गलौज भी
लोगों का चलना भी मुश्किल कर देते हैं
और अपराध भी करते हैं.
असामाजिक कार्यों में लिप्त रहते हैं
ड्रग एडिक्ट होते हैं
बहुत नराधम कार्य भी ये करते हैं
इन भिखारियों के लिए भी कुछ किया जाय
नहीं तो यही उनके लिए अच्छा है
और ये अपनी संख्या बढाते रहेगे
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