बढ रही गर्मी की तपन
छा गई चारो ओर उमस
अब तो सहना हो गया असह्य़
सब हो गए है पसीने से तरबतर
कब तक करे इंतजार
अब तो आ जाओ झमक- झमक
रिमझिम- रिमझिम करती
प्रेमल बूंदे बरसाती
सबको तृप्त करती
हरियाली लाती
पेड- पौधे सबकी आस जगाती
क्यों इतना तडपाती हो
हम तो स्वागत में ऑख बिछाए
हर बूंद पर खुशी जताते
भीगी फुहारों पर जान छिडकते
मदमस्त होकर नाचते
तुम्हारी काली घटाओं में डूब जाते
तुम्हारे इंद्रधनुषी रंगों पर न्योछावर हो जाते
आओ तो ,बरसो तो
फिर देखो सबके चेहरे पर खुशी
जल देकर जीवन दो
सबको प्रसन्न करो
ज्यादा मनुहार मत करो
अब तो आ जाओ बरखा रानी
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