Saturday, 3 June 2017

मॉ ,मुझे कुछ कहना है

मॉ ,तू मेरी बात क्सों नहीं सुनती
मेरे पास क्यों नहीं बैठती
हमेशा जल्दी में रहती है
काम पर जाने की जल्दी
पालनाघर में छोडकर
मुझे वहॉ अच्छा नहीं लगता
वहॉ मैं न रूठ सकता हूं
न रो सकता हूँ
न खाना नापंसद होने पर मचल सकता हूं
मुझे तेरी जरूरत है
रूठू तो मनाए
अपने हाथों से खाना खिलाए
बगीचे में घूमाने ले जाय
मैं गिर पडू तो अपने हाथ से उठा सहलाए
गले से लगाए ,प्यारी सी चुम्मी दे
पर मैं तो इन सबसे मरहूम हूं
मैं बचपन में ही बडा हो गया
समझदार हो गया
यह सब मुझे नहीं सुनना है
तू गलती करने पर डाटे
गालों पर हल्की सी चपत लगाए
पर तेरे पास तो समय नहीं है
तू कहती है यह सब तुम्हारे लिए कर रही हूं
तुम्हारा भविष्य बना रही हूं
मुझे नहीं चाहिए
यह सब ़़़़़़़़़़
मुझे तो केवल तुम चाहिए
तेरे ऑचल की छाया में दुनिया- जहान की खुशियॉ मिल जाएगी
मुझे बस तू चाहिए.

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