आप लोग तो आपस में लड रहे
शब्दों के व्यंग्यबाण खूब चल रहे
एक- दूसरे की खूब धज्जियॉ उडाई जा रही
अतीत की बक्खियॉ उधेडी जा रही
७० सालों का इतिहास बताया जा रहा
रामजी को तो हथियार बनाया ही गया था
अब तो औरंगजेब और खिलजी भी जुड गए
चाय बेचने से देश बेचने की बात
नीच और पप्पू संबोधन
यह नहीं कोई बता रहा कि काम क्या किया
देश और राज्य को कितना आगे ले गए
विकास और जनता की कितनी भलाई हुई
मंहगाई कितनी कम हुई यह छोडकर
अफजल गुरू को जिंदा किया जा रहा
सेना को भी घसीटा जा रहा
भगवान पर भी विवाद शुरू
कौन दर्शन करे कौन नहीं करे
अपनी - अपनी इज्जत और प्रतिष्ठा की चिंता
हर पार्टी होड में लगी है जीतने के लिए
पर जनता समझ नहीं पा रही
वोट किसको दे और क्यों ??
अपनी समस्या भूलकर इनकी बातों में आ जाए
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