Tuesday, 22 May 2018

ऊफ ः ये गर्मी

तप रही है जमी
तप रहा है आसमां
आग लगी जंगलों में
अकाल पडा जल का
नदी - नाले सूख रहे
सारे जीव हुए बेहाल
सब हुए है परेशान गर्मी से
हर कोई पसीने से तरबतर
गर्मी मे बाहर निकलना हुआ मुहाल
बंद हो गए है घर मे
पारा बढ़ता ही जा रहा
बीमारी ने डेरा डाल दिया है
लस्सी और नींबू पानी भी हो रहे असमर्थ
पंखा भी गर्म हवा छोड़ रहा
परेशानी ही परेशानी
पेड़ की भी हवा जैसे हो गई गायब
बस नजर जहाँ डालो तो धूप ही धूप
आँखे चुधिंया जा रही
सर पर टोपी और दुपट्टा
आँखों पर काला चश्मा
सब ढकने की कोशिश
पर सूरज की किरणें तो भेद रही
जला डाल रही
हवा को भी तपा डाल रही
इसकी चपेट से कोई नहीं बच पा रहा
हाय - तौबा मचा है
पर यह है कि पूरे शबाब पर अपने जलवे दिखा रही
और सबको झुलसा रही

No comments:

Post a Comment