Tuesday, 22 May 2018

नास्तिक या आस्तिक

कभी-कभी मुझे लगता है
मैं नास्तिक तो नहीं??
मैं सबके जैसे पूजा नहीं करती
रोज मंदिर नहीं जाती
व्रत -उपवास नहीं करती
अपनी सहूलियत के अनुसार ईश्वर को मानती हूं
त्योहार मे लाईन और भीड़ से बचती हूं
बाबाओ से दूर रहती हूं
प्रवचन मुझे पसंद नहीं
मेरा कोई गुरु भी नहीं
मन्नत मांगती नहीं
चढा़वा ज्यादा चढाती नहीं
दिखावे और ढकोसले से दूर रहती हूं
ईश्वर को पाने के लिए मेहनत नहीं करती
कुछ त्याग नहीं करती
माला भी नहीं फेरती
पर ईच्छा जरूर करती हूं
शिकायत करती हूं
यह मुझे क्यों नहीं मिला
मेरे साथ ही ऐसा क्यों??
अब इसे क्या समझू
स्वार्थ या नास्तिक पन
पर अगर ऐसा है तो मुझे उस पर विश्वास क्यों??
भजन भले न गाऊ
पर नाम तो लेती ही हूँ
कोसती भी हूँ ऊपर वाले को
ईश्वर के बिना असतित्व ही नहीं
यह भी जानती हूं
पर फिर भी औरों के जैसे नहीं बन पाती

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