पौधा लगाया खिडकी मे
अब उसे पानी देना है
पर पानी उसे ही देना.है
उसके नाम पर बरबाद नहीं करना है
आते-जाते लोगों को.नहीं भिगाना है
इतना भी नहीं कि नीचे गिरे
वह तो छोटा. सा है
थोड़ी जरूरत है
एक तरफ आप जीवन दान कर रहे हैं
तो दूसरी तरफ जीवन दायिनी जल का अपमान
पानी की हर बूंद बहूमूल्य
उसका अपव्यय नहीं
संभाल कर रखिए
पौधों के लिए भी
अपने लिए भी
कुदरत की हर देन को जपना है
तभी तो सृष्टि को चलना है
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