Sunday, 3 June 2018

बूंद जो विलीन हो गई

बूंदें गिरती है
उलझती है
खेलती -खिलखिलाती है
धरती मे समा जाती है
जब तक साथ रहता है
शमा बंधा रहता है
आज उस बूंद की याद आ गई
असमय ही चली गयी
एक कसक रह रह गई
साथ चली क्यों. नहीं
जब झगड़ते थे तो पता नहीं था
यह साथ छोड़ जाएगी
हम रोते रह जाएंगे
आज दशको बीत गए
याद अभी भी ताजा है
खुशी आती है
पर साथ मे याद दिलाती है
वह होती तो
आज वह नहीं
किसी के लिए बड़ी बात नहीं
पर अपनों के लिए
कहीं कुछ छूट गया
साथ चले क्यों नहीं
सब कुछ वैसे ही चलता रहेगा
नये सदस्यों को तो पता ही नहीं
पर हम जो साथ थे
एक ही साथ पले -बढे़
पर एक विलीन हो गई दूसरी दूनिया मे
यादें रह गई है

No comments:

Post a Comment