भारत ही गंगा बिना अधूरा
भारत का इतिहास बिना गंगा के हो ही नहीं सकता
राजा भगीरथ पृथ्वी पर तपस्या कर लाए थे
तब से भागीरथी निरंतर कल्याण कर रही है
जल देकर अविरत बहती हुई
शिव की जटा से निकली
आज जटिल बना दी गई है
बडे बड़े नगर इसके तट पर बसे
गंगोत्री से निकल स्वच्छ निर्मल विचरण करती
जब आगे बढ़ने लगती है
वैसे वैसे दूषित होती जाती है
कलकत्ता पहुंच कर बंगाल की खाड़ी मे जब गिरती है
तब तक तो बहुत बदलाव आ चुका होता है
जीवनदायिनी है मां गंगा
पर हम उसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं
स्वयं के पाप धो रहे हैं
वह कितना क्षमा करेगी
हम स्वयं बदल नहीं सकते
सारा कुछ उसी मे बहाते
कितना समाएगी
वह सागर भी नहीं है कि बाहर फेंक दें
माता है वह
संतान की हर गलती को समा लेती है
पर कब तक
जब तक उसकी क्षमता है तब तक
कहीं ऐसा न हो जाय
मां हमसे रूठ जाय
तब तो भगीरथ का उद्देश्य
मां गंगा को पृथ्वी पर लाना
असफल हो जाएगा
आज उनकी अहमियत को समझना होगा
नहीं तो विनाशकारी परिणाम होगे
भविष्य अगर अच्छा करना है
तो मां गंगा का सम्मान करना है
उन्हें पवित्र और निर्मल रखना है
तभी सारी मानव जाति का कल्याण होगा
अगर गंगा नहीं तो भारत भी नहीं
शिव की काशी महादेव भी इसी के तट पर
तुलसी-कबीर की रचनाओं का संसार भी यही
संत महात्माओं की भूमि
हम मां के ऋणी हैं
और उस ऋण को चुकाना है
बस उसे स्वच्छ रखना है
मां ऐसे ही सदियों बहे
आने वाली पीढियों को भी आशिर्वाद देती रहे
... नमामि गंगे ....
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment