Friday, 14 December 2018

दोहरा व्यक्तित्व

सामने से एक लड़का जा रहा था
उसने टी शर्ट पहन रखी थी
उसमे दो भाग थे
एक भाग सफेद और एक काला
सफेद पर कुछ डिजाइन बनी हुई
सोचने लगी
यही हमारा व्यक्तित्व है
हम भी तो दोहरा जीवन जीते हैं
अंदर से कुछ
बाहर से कुछ
दुखी रहते हैं
उस पर भी झूठी मुस्कान ओढे रहते हैं
मन मे क्रोध
ऊपर से शांत दिखते हैं
भले ही अंतरतम मे कितनी भी हलचल
बाहर से शांत
द्वेष और घृणा से भरे
बाहर से प्यार का वर्षाव
क्यों हम वह नहीं दिखते
जो हमारा वास्तविक स्वरूप है
बनावट का लबादा ओढे रहते हैं
दूनिया को दिखाने के लिए
डरते हैं लोगों से
रंगीन शमा दिखती है
पर वह कभी कभी बदरंग भी रहती है
दुख ,चिंता ,तनाव से ग्रस्त
और वह दोहरी जिंदगी जीते हुए
हम न जीते हैं
न मरते हैं
बस जिंदगी को ढोते हैं
यही हमारी नियति हैं

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