Friday, 7 December 2018

मुझे अकेला छोड़ दो

मुझे अकेला छोड़ दो
मैं थक गया हूँ
रिश्ता निभाते निभाते
ऊब गया हूँ बनावटी जिंदगी से
सबको खुश रखने के चक्कर मे
मैं उलझा हुआ रह गया
इस चक्र व्यूह से मुझे बाहर निकलना है
स्वयं को ढूंढना है
पहचानना है
मेरी खुशी किसमें
मेरा असतित्व क्या
मैं कहाँ खो गया
मेरे जीवन का उद्देश्य क्या ??
केवल जिम्मेदारी उठाना
मैं कब जीऊंगा
दूसरों के लिए जीते जीते कंधे बोझिल हो गए
उनका भार कम करना ताकि
वह भी तन कर खडे हो सके
जीवन का नाम केवल जिम्मेदारी ही तो नहीं
उसके आगे भी कुछ है
जीवन आग्रह कर रहा है
बहुत जी लिए औरों के लिए
अब तो अपने लिए जी लो

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