विज्ञापन का युग
दूनिया उनके पीछे दौड़ लगा रही
नित नये विज्ञापन
नये नये कलेवर
अलग अलग सेलिब्रिटी
लोग उनका अनुकरण करते
एक अभिनेता तो इसमें इतने माहिर
हर तीसरा विज्ञापन उनका
देख देख कर थक जाय इंसान
प्रोडक्ट को बेचना है
होड़ लगी है
साधु संत भी शामिल
कोई प्रकृति का वरदान का वर्णन कर रहा
तो कोई नायक हवा मे अठखेलियां कर रहा
तो कोई ठंडा ठंडा कूल कूल रहा
किसी के दांत मे रात की खाई सब्जी दिखाई दे रही
तो किसी की साड़ी दूसरे से सफेद
यह तो प्रचार है
पैसे कमाने का जरिया है
सच मे ऐसा है क्या
अगर ऐसा होता तो
हाल ही मे एक सेलीब्रिटी की शादी मे जम कर आतिशबाजी हुई
जबकि वह प्रदूषण के खिलाफ है
उसकी ब्रेंड एम्बेसडर हैं
कोई बात नहीं
शादी रोज रोज तो नहीं होगी
वह भी इंसान है
पर यह याद रखना कि
साथ मे सेलीब्रिटी भी है
लोगों पर छाप छोड़ते हैं
लोग उनका अनुकरण करते हैं
नेताओं ने तो इनको भी पीछे छोड़ दिया
जम कर पैसा बहाया जाता है समारोहों मे
वह भी एक.तरह का विज्ञापन ही है
देश के न जाने कितने परिवार को दो जून
का खाना भी नसीब नहीं होता
वहाँ कुछ प्रतिशत लोगों को विज्ञापन के भ्रमजाल
मे उलझाया जाता है
बाकी उनकी नकल
अगर उसके पास तो मेरे पास क्यों नहीं
यही से हीन भावना शुरू
जो कि आगे जाकर भयंकर
विज्ञापन हो ठीक है
पर लोगों को विज्ञापनों का गुलाम न बनाना जाय
यही टूथपेस्ट
यही गाडी
यही तेल
यही मैगी
यही औषधि
इनके बीच उलझता सामान्य इंसान
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment