Sunday, 3 February 2019

बोझ को फेंक दे

बोझ तो बोझ ही है
वह तन पर हो
मन पर हो
आत्मा पर हो
हर बोझ भारी होता है
हम सालोसाल ढोते जाते हैं
सामान का बोझ कुछ घंटों का
वह केवल शरीर थकाता है
पर मन का बोझ तो जिंदगी जीना भूला देता है
हम अपने विचारों से
अपने अतीत से मुक्त नहीं हो पाते
इस बोझ को छोड़ना है
पटक देना है
झटक देना है
अन्यथा इसके झटके से जिंदगी बोझिल हो जाएगी
उतार फेकिए
तब देखे
जिंदगी कितनी हसीन है
अपने से भी प्यार करिए
जिंदगी को बोझ का घरौंदा मत बनाए
नये सोच
नयी आशा
नया जोश
यह भरिए और जिंदगी को भी मुस्कराने दीजिए

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