कभी बेटा आ रहा है
कभी बेटी आ रही है
मां गंगा के पास सब आ रहे हैं
मां आशिर्वाद भी देंगी ही
मां के लिए तो सब बराबर
वह तो पतीत पावनी है
सबका पाप धोती है
वह तो जीवन दायिनी है
मां को क्या चाहिए
बस उन्हें याद रखा जाय
उन्हें स्वच्छ रखा जाय
उनका जल अमृत है
उसमें जहर न घोला जाय
गंदगी न फैलाई जाय
नाला और गटर का पानी न छोड़ा जाय
वह तो स्वर्ग छोड़ पृथ्वी पर आई है
समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए
वे मां है
क्षमा करना भी उनका स्वभाव है
पर कब तक ?
बच्चों का भी तो कर्तव्य बनता है
अगर ध्यान नहीं रखा
तब तो वह हमें छोड़ जाएगी
जिस दिन छोड़ दिया
हम अनाथ हो जाएंगे
जल की बूंद के लिए तरस जाएंगे
वे लहराती रहे
संतान उनसें आशिर्वाद लेती रहे
उसके किनारे पर
उसकी गोद मे विचरण करती रहे
सब उनका ख्याल रखें
वे हमारा रखेंगी
अपनी ममता जी भर उड़ेलेगी
जय मां गंगे
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