बहुत पहले एक गाना आया था
तेल मालिश और चम्पी
अब सरकार रेल यात्रियों के लिए यह सुविधा उपलब्ध कराने जा रही है
यह हमारा भारत है
महिलाओं को घूरना
अश्लील फब्तियां कसना
छेडछाड करना
यह सामान्य बात है
आए दिन बलात्कार की खबरें
उस पर रेल में यह सुविधा
सामने महिला बैठी हो
तब फब्तियां कसेंगे
फालतू बात मालिश के बहाने बोलेंगे
अगर ऐसा है
तो रेलवे अलग से केबिन बनाए
उसी में मालिश हो
सीट पर और सबके सामने नहीं
महिला अपने को सुरक्षित महसूस करें
यह भी भारतीय रेल की जिम्मेदारी बनती है
ए सी में तो कुछ हद तक ठीक है
स्लीपिंग क्लास में तो टायलेट तक नजरें घूरती रहती है
जब हवाई जहाज में छेड़छाड़ हो सकती है
तब तो यह भारतीय रेल है
ऐसा न हो कि यह सरदर्द से छुटकारा दिलाने के नाम
पर असल में सरदर्द बन जाय
सर और पैर की चम्पी नहीं
नजर और खुराफाती दिमाग की चम्पी की जरूरत है
रेल प्रशासन सोच विचार कर यह निर्णय ले
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