कहने को तो पुराने कपडे
बहुत कुछ कह जाते हैं
आज इनको रखने की जगह कम
कपडे ज्यादा और जगह कम
आए दिन नए कपड़े खरीदे जाते हैं
फैशन बदलते रहते हैं
उसी अनुसार कपड़े भी
कपड़े सुविधा और तन ढकने का साधन ही नहीं
व्यक्तित्व को निखारने का साधन
उसको परिभाषित करना
उसके स्टेटस को निर्धारित
यह है आज का मापदंड
किसी को तन ढकने के लिए कम
किसी को रखने की जगह की कमी
हर मौसम में इसकी जरूरत
अलग-अलग तरह से
हर अवसर पर भी भिन्न भिन्न
यह अवसर को रंगीन बना देता है
उसमें जान फूंक देता है
बडप्पन और हीनता की भावना भी इसी के कारण
आज अलमारी साफ करते समय एक गठ्ठा भर बाहर निकाल दिया
किसी को दे देंगे
याद आई कामवाली बाई की
उसे दिया तो उसकी आॅखो मे चमक
एक एक को निकाल कर देख रही
तहाँ कर रख रही
मेरे लिए जो बेकार
उसके लिए अमूल्य
साथ ही अपने पुराने दिन याद आ गए
साल में केवल तीज-त्यौहार
शादीब्याह पर ही मिलते
वह भी संभाल कर पहनते
गिनती के कपडे
आज अनगिनत
समय बदला है
पर मन में कसक बाकी है
अरे मुझे मिला नहीं
पुरानी यादें जेहन में ताजा हो आई
यह समय था
जो याद दिला रहा था
पीछे ले जा रहा था
मानो कह रहा हो
कपड़े की कदर करो
आज जो आपकी जरूरत नहीं
किसी और की हो सकती है
दिल खोल दे दीजिए
उसके चेहरे पर मुस्कान देख
आपको भी खुशी महसूस होगी
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