Friday, 5 July 2019

एक ऐसी भी बरसात हो

एक सुहानी शाम हो
चार दोस्तों का साथ हो
हाथ में कटिंग चाय हो
बातों में पुरानी याद हो
रिमझिम बरसात हो
गपशप का दौर हो
मिलकर हंसी ठट्ठा हो
किसी की नहीं
बस अपनी बात हो
एक दूसरे के प्रति प्यार हो
हर बात में मिसरी सी मिठास हो
होठों पर गुनगुनाते गीत हो
चेहरे पर मुस्कान हो
हर बात में अपनापन हो
नहीं कोई मुखौटा
जो जैसा है वैसा ही हो
कभी भीगी पलकें हो
कंधे पर संवेदना का हाथ हो
दिल से दिल मिल जाय
गले लगकर सब गिला शिकवा भूल जाय
तब क्या बात हो
एक ऐसी भी बरसात हो

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